CE और PE के बारे में जानने का मतलब है कि आप ऑप्शन ट्रेडिंग में प्रवेश कर चुके हैं। आपने चाहें किसी भी ब्रोकर से भी डीमैट अकाउंट खुलवाया हो, आपको ऑप्शन खरीदते समय हर एक स्ट्राइक प्राइस के आगे CE और PE लिखा दिखाई देगा। तो चलिए जानते है ये क्यों लिखा जाता है और इसका मतलब क्या होता है?
ध्यान रहे, यह आम आदमी के लिए पैसे गंवाने का एक एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ठीक सुना, ऑप्शन ट्रेडिंग एक पैसे गंवाने का विकल्प है जिसमे पैसे बनने से ज़्यादा चले जाते हैं इसलिए आम आदमी को ऑप्शन ट्रेडिंग करने की सलाह नहीं दी जाती।
CE Means in Share Market
CE का फुल फॉर्म कॉल यूरोपियन(Call European) होता है जिसे कॉल ऑप्शन भी कहा जाता है। यह ऑप्शन ट्रेडिंग का एक ऑप्शन होता है जिसे निवेशक ये सोचकर खरीदता है कि आगे जाकर इस शेयर की कीमत में बढ़ोतरी होगी। चलिए हम आपको एक कहानी सुनाते हैं |
CE से जुड़ी मेरी कहानी
एक बार मेरे एक चाचा को दिल्ली में जमीन खरीदनी थी। अब क्योंकि उन्हें स्टॉक मार्किट के बारे में नहीं पता था तो वे ऐसे ही रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट करने की सोच रहे थे।
खुशकिस्मती से उन्हें एक गाँव के अंदर बहुत सी जमीन मिल गयी। जब उन्होंने किसान से जमीन का दाम पूछा तो उसने 5 करोड़ बताया |
दिक्कत ये थी कि उस समय उनके पास केवल 50 लाख रूपये थे और वे पूरी जमीन खरीदना चाहते थे क्योंकि जल्द ही पास में एयरपोर्ट बनने वाला था जिससे उस जमीन की कीमत आसमान छूने लगती।
आगे जानते हैं क्या हुआ?
चाचा ने उन किसान को 50 लाख रूपये दे दिए और वादा किया कि 6 साल बाद वे किसी और को जमीन बेचकर 5 करोड़ रूपये चुका देंगे। अब किसान भी खुश हो गए क्योंक जमीन की कीमत कितनी भी हो 50 लाख तो मिल ही रहे हैं।
इसके बाद तो आपको क्या ही बताऊँ।
उस जमीन की कीमत 12 करोड़ रूपये हो गयी थी तो चाचा ने जमीन 12 करोड़ में बेच दी और किसान को 5 करोड़ रूपये चुकाकर 7 करोड़ रूपये का प्रॉफिट किया।
ठीक ऐसे ही CE ऑप्शन खरीदने पर होता है। आप ये सोचकर खरीदते हैं कि आगे जाकर इस कंपनी के शेयर की कीमत बढ़ जाएगी।
What is CE and PE in Stock Market?
CE का फूल फोर्म Call European और PE का फुल फॉर्म Put European होता है। यह दोनों ऑप्शन ट्रेडिंग से सम्बंधित है।
CE बढ़ते बाजार का सूचक है और इसलिए जब किसी शेयर के आगे तरक्की करने की सम्भावना होती है तो Call Option खरीदना फायदेमंद होता है। आप ये सोचकर खरीदते हैं कि आगे जाकर इस कंपनी के शेयर की कीमत बढ़ जाएगी।
जबकि दूसरी और PE गिरते बाजार की निशानी है। आने वाले समय में जब किसी शेयर के गिरने की सम्भावना ज्यादा होती है तो निवेशकों के लिए Put Option खरीदना फायदे का सौदा होता है।
आप चाहे कॉल खरीदें या पुट, प्रीमियम आपको हर हल में चुकाना होगा और एक्सपायरी के दिन पूरी कीमत भी देनी होगी।
CE और PE से जुड़ी कुछ शर्तें
Option Premium क्या होता है?
अपनी ऑप्शन की खरीद पक्की करने के लिए हमें पहले से ब्रोकर को कुछ पैसे चुकाने होते हैं | इस मूल्य को हम ‘ऑप्शन प्रीमियम’ कहते हैं। जैसे कहानी में चाचा ने किसान को 50 लाख रूपये चुकाए थे।
स्पॉट प्राइस का मतलब
स्पॉट प्राइस उस समय की कीमत बताती है जिस समय सौदा हुआ। जिस समय सौदा हुआ था उस टाइम पूरी जमीन की कीमत 5 करोड़ रूपये थी तो हम इसे ही स्पॉट प्राइस कहेंगे। स्टॉक मार्किट में किसी शेयर या equity को खरीदने से पहले उसकी CMP देखी जाती है।
Underlying एसेट क्या है?
हम जिस चीज़ को खरीद रहे हैं या सौदा कर रहे हैं, उसे Underlying Asset कहते हैं जैसे मेरे चाचा ने जमीन खरीदी थी लेकिन स्टॉक मार्किट में शेयर्स होते हैं।
ऑप्शन बायर और ऑप्शन सेलर
हर ऑप्शन ट्रेडिंग में एक ऑप्शन खरीदने वाला और ऑप्शन बेचने वाला भी होता है। कहानी में किसान ऑप्शन बेचने(Option Seller) वाले हैं और चाचा ऑप्शन खरीदार(Option Buyer) हैं।
Expiry का समय
वह समय सीमा जिसमे ऑप्शन खरीदने वाले को बचे हुए पैसे चुकाने है। कहानी में वह 6 महीने है। यह किसी शेयर के लिए उसकी Intrinsic Value से ऊपर जाने के लिए ठीक ठाक समय लगता है पर ऑप्शन में दाँव उल्टा ज्यादा पड़ता है क्योंकि मार्किट अप्रत्याशित है।
Verdict
ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय खरीदने वाले ये सोचकर खरीदते हैं की कीमत बढ़ेगी पर हमेशा ऐसा नहीं होता। आप जैसे ही सोचने लगेंगे की अब मार्किट को समझ गए, उसके अगले दिन ही मार्किट आपको चौंका देगा।
इसलिए हमेशा सीखते रहिये और ट्रेडिंग में केवल उन्ही पैसो का इस्तेमाल करिये जो अगर चले भी जाये तो आपको दिक्कत न हो और लोन लेकर ट्रेड करने का पाप बिलकुल न करें।
आप की पोस्ट पढ़कर हमे खुशी हुई।
Bahut behtrin tarike se samjhaya, Dhanyawad!
Thank you so much🙏🙏