अब आप शेयर मार्किट के बारे में जान रहें हैं तो SEBI के बारे में आपको जरूर पता होना चाहिए क्योंकि ये एक ऐसी सरकारी संस्था है जो अगर नहीं होती तो हमारे और आपके जैसे आम निवेशक कभी चैन से पैसा नहीं लगा पाते और जब भी लगाते तो कुछ न कुछ धोखाधड़ी हो जाती जैसे 1992 से पहले होती रहती थी।
इसकी अहमियत आपको तब समझ आएगी जब हम आपको इसकी वर्किंग समझायेंगे। जिस प्रकार बचपन से जवान होने तक हमारे माता पिता हमारा ध्यान रखते हैं कि हम किसी गलत रास्ते पर न निकल जाएँ, वैसे ही SEBI सभी निवेशकों का ध्यान रखता है कि कहीं उनके साथ कोई धोखा धड़ी तो नहीं की जारही।
हर्षद मेहता 1992 घोटाले के बारे में आप विस्तार से जानते होंगे। सेबी को उसी साल स्कैम होने के बाद शक्तियां दी गयी थी जिससे वह निवेशकों के हित की रक्षा कर सके। हालाँकि स्कैम तो आज भी होते हैं पर जितने पहले होते थे संख्या उससे काफी कम रह गयी है।
SEBI क्या है और इसकी स्थापना कब हुई ?
SEBI का फुल फॉर्म Securities Exchange Control Board है जिसे हिंदी में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड कहा जाता है। इसकी स्थापना 12 April 1992 में एक गैर संवैधानिक निकाय के रूप में हुई थी और 30 Jan 1992 में नरसिंहम समिति की सिफारिश पर सेबी को संवैधानिक ताकत दी गयी थी। सेबी का मुख्य कर्तव्य भारतीय पूंजी बाजारों को विनियमित करना है। यह शेयर बाजार की निगरानी और नियमन करता है और कुछ नियमों और विनियमों को लागू करके निवेशकों के हितों की रक्षा करता है।
सेबी के उद्देश्य
- सेबी प्रतिभूति बाजार में निष्पक्ष प्रथाओं को बढ़ावा देने और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए काम करता है।
- इनसाइडर ट्रेडिंग पर रोक लगाना |
- यह स्टॉक एक्सचेंजों, दलालों और अन्य बाजार सहभागियों की गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
- सेबी प्रतिभूति बाजार के लिए दिशानिर्देश और विनियम भी जारी करता है।
- Demat Account धारकों को स्टॉक मार्किट से जुड़े वित्तीय जोखिमों के बारे में शिक्षित करना और गलत व्यापार व्यवहारों(unfair trade) से बचाव करना
- नियमित तौर पर सिक्योरिटीज मार्किट के हितो का संरक्षण |
- स्टॉक मार्किट से जुड़े मैनेजर, ब्रोकर, मर्चेंट बैंकर, पोर्टफोलियो मैनेजर आदि का नियमन करना।
SEBI का इतिहास
वैसे तो सेबी की स्थापना अप्रैल 1988 को मुंबई में हुई थी लेकिन उस समय सेबी के पास कोई पावर नहीं थी। वह बाजार पर नज़र तो रख सकता था लेकिन कोई खुद की शक्ति न होने के कारण सेबी को अपनी बात सरकार को बतानी पड़ती थी। सरकार तो ठहरी निकम्मी , वो कुछ करती ही नहीं थी और अगर करती भी थी तो इतने समय बाद करती थी कि घोटाला करने वाला कहाँ से कहाँ पहुँच जाता था और कोई सबूत भी नहीं मिलता था।
फिर चार साल बाद जनवरी 1992 में सेबी को संवैधानिक दर्जा दिया गया और कुछ शक्तियाँ भी दी गयी जिसके द्वारा अगर सेबी किसी को डिफाल्टर पाता है तो बिना सरकार को बताये उस पर डायरेक्ट एक्शन ले सकता है। जो समय सरकार को बताने में बर्बाद होता था अब सेबी उस समय का इस्तेमाल निश्चित सबूत जुटाने और क़ानूनी कार्यवाही करने में कर सकता है।
1992 में भी सेबी को संवैधानिक संस्था बनाने की ये बुद्धि सरकार को बाद में आयी जब उस समय के भारत का सबसे बड़ा स्कैम सुचेता दलाल के द्वारा बाहर लाया गया। अब आगे ऐसा न हो उसके लिए सरकार ने सेबी को एक दमदार संस्था बनाया
क्या सेबी के आने के बाद स्कैम पूरी तरह से ख़त्म हो गए?
काफी हद तक कम हो गए हैं लेकिन ये कहना उचित नहीं होगा कि SEBI के गठन के बाद स्कैम बिलकुल समाप्त हो गए हैं।सेबी को पावर मिलने के बाद भी हर्षद मेहता से भी बड़े स्कैम सामने आये हैं जैसे केतन पारेख स्कैम, सुब्रता रॉय स्कैम जिसमे ब्रोकरों ने निवेशकों का पैसा गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा किया, NSE स्कैम जो खुद National stock exchange के अधिकारियो ने किया जिसमे कुछ बड़े खिलाड़ियों को स्टॉक की प्राइस आम जनता से पहले ही पाता चल जाती थी।
लेकिन एक बात मुझे सेबी की बहुत अच्छी लगी, अगर आपको लगता है कि आपके साथ धोखाधड़ी हुई है तो आप सेबी में अपनी रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं। आपके मामले की जाँच की जाएगी, दोषी पाए जाने पर धोखा करने वाले को सजा मिलेगी और आपको आपके पैसे वापस मिलेंगे। वही दूसरी ओर अगर अपने सेबी को बेकार में परेशान किया तो उल्टा आप पर भी जुर्माना लग सकता है।
SEBI के सदस्य और उनका गठन
वैसे तो सेबी अपने 20 विभागों द्वारा पूंजी बाजार पर नजर रखता है लेकिन मुख्या रूप से सेबी के ऑफिस में 9 सदस्य होते हैं जिसमे एक अध्यक्ष और बाकि 8 बोर्ड सदस्य होते हैं जिन्हे अलग अलग मंत्रालय द्वारा चुना जाता है।
चेयरमैन को केंद्र सरकार चुनती है, 2 लोगों को केंद्रीय वित्त मंत्रालय चुनता है, एक व्यक्ति रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया का होता है बाकि बचे पांच लोग भारत सरकार द्वारा नियुक्त किये जाते है।
SEBI के वर्तमान अध्यक्ष कौन है?
वर्तमान में सेबी की अध्यक्ष Madhabi Puri Buch हैं जिन्हे भारत सरकार द्वारा 28 फरवरी 2027 तक नियुक्त किया गया है। श्रीमती माधाबी 1 मार्च 2022 से सेबी की अध्यक्ष बनकर ऑफिस संभाल रही हैं। आपको बता दें इनसे पहले अजय त्यागी इस पद पर कार्यव्रत थे जिनका कार्यकाल 1 March 2017 से 28 फरवरी 2022 तक रहा। अजय जी का पांच साल का SEBI कार्यकाल समाप्त होने के बाद ही माधाबी जी को नियुक्त किया गया है।