दोस्तों यदि आप शेयर मार्किट के बारे जानकारी ले रहे है तो आपने कभी न कभी Equity का नाम जरूर सुना होगा। किसी भी बिज़नेस के लिए, खासकर जो बिज़नेस स्टॉक मार्किट पर लिस्टेड हैं उनके लिए इक्विटी किसी अमृत से कम नहीं है पर आखिर ये इक्विटी का मतलब क्या होता है और इसकी कंपनी में क्या वैल्यू होती है? चलिए जानते हैं।
Equity Kya Hoti Hai?
इक्विटी उस धनराशि का प्रतिनिधित्व करती है जो किसी कंपनी के शेयर धारको को वापिस की जाएगी जब उसकी सभी सम्पत्तियों का परिसमापन कर दिया जाये और सभी लोन का भुगतान कर दिया जाये।
एक उदाहरण से समझते हैं। मान लेते हैं की मुझे एक चड्डी बनियान की कंपनी शुरू करनी है जिसे शुरू करने के लिए मुझे ₹10 लाख रूपये की ज़रूरत पड़ेगी। अब मेरे पास ₹5 लाख रूपये तो पहले से मेरे सेविंग्स अकाउंट में हैं लेकिन बाकि 5 लाख पूरे करने के लिए मेने बैंक से ₹5 लाख का लोन ले लिया।
इसका मतलब ये है की इस ₹10 लाख की कंपनी में अब मेरी 50% हिस्सेदारी है। आसान भाषा में इस हिस्सेदारी या ownership को ही इक्विटी कहते हैं। आप जब भी किसी कंपनी में निवेश करते हैं तो उस कंपनी के कुछ हिस्से के मालिक बन जाते है।
एक और उदाहरण से समझते है। मान लीजिये कोई कंपनी की वैल्यू 100 करोड़ रूपये है जैसे की मिडकैप कंपनियों की होती है। अगर आप इस कंपनी में 10 करोड़ रूपये लगाते हैं तो आप उसमे 10% ओनरशिप प्राप्त कर लेंगे यानि की 10% इक्विटी।
इक्विटी शेयर कितने प्रकार के होते हैं?
इक्विटी दो प्रकार की होती है:
1. Equity Shares/Common(इक्विटी शेयर्स/कॉमन)
जैसा की नाम से पता चलता है, ये शेयर बिलकुल कॉमन होते हैं। आप स्टॉक एक्सचेंज से किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं और मालिकाना हक़ प्राप्त करते हैं।
आपके पास वोटिंग अधिकार भी होता है जिससे आप संगठन में होने वाली मीटिंग्स में अपना मतदान कर सकते हैं। जब भी उसे किसी व्यक्ति को पद से हटाना होता है तो कंपनी अपने इक्विटी शेयरहोल्डर से पूछती है |
यदि ज़्यादातर शेयर धारक सहमति दिखाते हैं तो उस व्यक्ति को हटाने का निर्णय ले लिया जाता है अन्यथा अगर वोटर्स कंपनी के फैसले के खिलाफ वोट करते हैं तो कंपनी सभी शेयर धारकों का सम्मान करते हुए उस व्यक्ति को उसके पद से नहीं हटाती।
Equity शेयर के फायदे
आपके पास जितने शेयर होते हैं उतने वोट आप कर सकते हैं पर शेयर भी कई प्रकार के होते हैं। अपने किस तरह के शेयर होल्ड किये हैं ये उस पर निर्भर करता है ।
अगर आपके पास कंपनी की 10% इक्विटी शेयर्स है तो आपको कंपनी के बीच में होने वाली मीटिंग में भी बुलाया जायेगा और आपकी सलाह अगर काम की हुई तो उस पर अमल भी किया जायेगा।
अब क्योंकि आप कंपनी के आंशिक सदस्य बन गए हैं तो अगर कंपनी प्रॉफिट करेगी तो आपको लाभ मिलेगा जबकि दूसरी अगर अगर कंपनी डूबेगी तो आपको घटा होगा।
Equity शेयर को कैसे खरीद सकते हैं?
इक्विटी शेयर को आप NSE या BSE से खरीद सकते हैं लेकिन आईपीओ के जरिये नहीं क्योंकि आईपीओ और आईएफओ प्राइमरी मार्किट में आता है जबकि स्टॉक एक्सचेंज में पहले से लिस्टेड कंपनियां सेकेंडरी मार्किट में आती हैं। आप इक्विटी को केवल सेकेंडरी मार्किट में खरीद सकते हैं।
2. Preference Share(प्रेफरेंस शेयर्स)
इस प्रकार की Equity को हम VIP कह सकते हैं क्योंकि इसमें कोई रिस्क नहीं होता और निवेशक के पैसे कभी नहीं डूबते।
ये बिलकुल जोखिम फ्री शेयर है जिनमे पहले से ही रेट ऑफ़ dividend निर्धारित कर लिया जाता है और आम इक्विटी की तुलना में इनकी फेस वैल्यू काफी ज़्यादा होती है।
जहाँ एक कॉमन शेयर की फेस वैल्यू ₹10 होगी वहीँ परेफरेंस इक्विटी शेयर की कीमत 10 गुना यानि की ₹100 या कभी तो ₹150 भी हो सकती है।
अगर कंपनी दिवालिया होने की कगार पर पहुँच जाती है तो सबसे पहले प्रेफरन्स Equity वाले शेयर धारकों को प्राथमिकता देती है और सबसे पहले उनके पैसे वापस करती है जिन्होंने परेफरेंस इक्विटी ले रखी है।
प्रेफरेंस शेयर के नुकसान
हालाँकि सभी अन्य चीज़ों की तरह इसके कुछ नुकसान भी हैं। जैसे इस प्रकार के Equity शेयर को cmp पर खरीदने के बाद खरीदने के बाद आपको वोटिंग अधिकार नहीं दिए जाते और आप बस नाम के मालिक रह जाते हैं।
वैसे तो आप हर तरह के नुकसान से बच जाते हैं लेकिन हर प्राथमिकता शेयर का एक निश्चित पीरियड जिसके बाद आप चाहकर भी उन्हें अपने पास नहीं रख सकते। इसलिए इन्हे temporary nature के शेयर भी कहा जाता है।