Property Tax एक ऐसा Tax है जो हमारी अचल संपत्ति जैसे मकान, प्लॉट, शॉप आदि पर लगाया जाता है। जिन लोगों के पास real estate है, उन्हें संपत्ति कर देना ज़रूरी होता है। इस लेख में हम संपत्ति कर के बारे में विस्तार से जानेंगे – इसकी गणना कैसे की जाती है, किन परिस्थितियों में छूट मिलती है आदि। प्रॉपर्टी टैक्स की गणना में छूट मिल सकती है लेकिन Depreciation फिक्स्ड होता है। चलिए शुरुआत करते हैं।
Property Tax क्या है?
Property Tax एक प्रकार का visible tax है जो नगर निगम या नगर पालिका द्वारा अचल संपत्ति जैसे मकान, दुकान, गोदाम, प्लॉट आदि पर लगाया जाता है। जैसे – श्री अमित के नाम पर गाजियाबाद में एक 2 BHK फ्लैट है, तो उस पर गाजियाबाद नगर निगम द्वारा प्रतिवर्ष संपत्ति कर लगाया जाता है।
संपत्ति कर हर वर्ष निर्धारित किया जाता है और संपत्ति मालिक को इसे नियमित रूप से भरना होता है। भारत में, संपत्ति कर की दरें 10% से 20% के बीच तय की जाती हैं। यह करयह कर राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है, न कि केंद्र सरकार द्वारा और स्थानीय निकाय इसे एकत्र करते हैं।
- संपत्ति कर आमतौर पर मकान, प्लॉट, कृषि भूमि, कमर्शियल प्रॉपर्टी जैसी अचल संपत्ति पर लगाया जाता है।
- इस कर की दरें राज्य से राज्य अलग-अलग होती हैं।
यह एक महत्वपूर्ण tax है जो हमारी अचल संपत्ति जैसे मकान, जमीन आदि पर लगता है। आइए जानते हैं संपत्ति कर क्या होता है, यह किस पर लगता है, इसकी गणना कैसे की जाती है और इसमें कौन सी छूटें उपलब्ध हैं।
Property Tax किस पर लगता है?
Property Tax सबसे आम तौर पर आवासीय संपत्तियों जैसे मकान, फ्लैट आदि पर लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर राम के नाम पर गाज़ियाबाद में एक 2 BHK फ्लैट है, तो उस फ्लैट पर गाज़ियाबाद नगर निगम प्रतिवर्ष संपत्ति कर लगाता है।
इसके अलावा, कमर्शियल या व्यावसायिक संपत्तियाँ जैसे कि दुकानें, ऑफिस, गोदाम, होटल आदि भी संपत्ति कर के दायरे में आती हैं। उदाहरण के लिए, अगर श्याम के नाम से एक रेस्तरां है, तो उस रेस्तरां पर भी स्थानीय निकाय संपत्ति कर लगाएगा।
इसी तरह औद्योगिक या विनिर्माण संपत्तियाँ जैसे कारखाने, प्लांट आदि पर भी संपत्ति कर लागू होता है। जैसे कि अगर किसी कंपनी के नाम पर एक फैक्ट्री है, तो उस फैक्ट्री पर संपत्ति कर देना होगा।
इसके अलावा, किसी खाली प्लॉट या जमीन पर भी, जब तक वह कृषि उपयोग में न हो, संपत्ति कर लगाया जा सकता है। इस प्रकार, संपत्ति कर लगभग सभी प्रकार की अचल संपत्तियों पर लागू होता है।
इसके अलावा निम्नलिखित पर संपत्ति कर नहीं लगता है:
- कृषि भूमि
- धार्मिक स्थल जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि
- सरकारी इमारतें
Property Tax की calculation कैसे की जाती है?
Property Tax की गणना एक चरणबद्ध प्रक्रिया है जिसमें कुछ मुख्य कदम शामिल होते हैं।
पहला कदम संपत्ति का बाज़ार मूल्य निर्धारित करना है। बाज़ार मूल्य का अर्थ है उस संपत्ति की वर्तमान में बिक्री होने पर मिलने वाली कीमत। इसका आकलन करने के लिए आसपास के क्षेत्र में हाल ही में हुई बिक्रियों की जानकारी एकत्र की जाती है। रजिस्ट्री मूल्य पर भी ध्यान दिया जाता है। मकान के लिए तो इसका निर्धारण उसके क्षेत्रफल, लोकेशन जैसे कारकों पर निर्भर करता है।
दूसरा कदम है निर्धारित बाज़ार मूल्य पर संपत्ति कर की दर लागू करना। यह दर आमतौर पर 10 से 20 प्रतिशत के बीच तय की जाती है। दर का निर्धारण नगर निगम द्वारा किया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर मूल्य 20 लाख रुपए है और दर 15 प्रतिशत है, तो कर राशि 20 लाख रुपए x 15% = 3 लाख रुपए होगी।
तीसरा कदम है उपलब्ध छूट को कर राशि में से कम करना। छूट का लाभ लेने के लिए आवेदन करना पड़ता है। पहले मकान खरीदने वालों, महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों को छूट मिलती है। उदाहरण के लिए, 3 लाख रुपए के कर पर 10% की पहला मकान छूट से कर राशि 30,000 रुपए कम हो जाएगी।
अंत में, छूट के बाद जो राशि बचती है, उसे संपत्ति कर के रूप में निर्धारित समय सीमा के अंदर भरना आवश्यक होता है। यह राशि एकमुश्त या किस्तों में जमा की जा सकती है।
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Property Tax में कौन सी छूट मिलती है?
संपत्ति कर में कुछ मामलों में छूट मिल सकती है। आइए समझते हैं कि किन परिस्थितियों में कौन सी छूट मिल सकती है:
अगर कोई व्यक्ति पहली बार मकान या फ्लैट खरीदता है, तो उसे सामान्यतः 5% की छूट मिलती है। जैसे कि अगर राहुल पहली बार एक फ्लैट खरीदता है, तो उसे 5% छूट मिलेगी।
महिलाओं और 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को 10% तक की छूट मिल सकती है। जैसे कि श्रीमती शर्मा को 10% की छूट मिल सकती है।
शारीरिक रूप से विकलांग लोगों को अधिकतम 20% तक की छूट दी जा सकती है। जैसे कि एक दृष्टिहीन व्यक्ति को 20% तक की छूट।
एकल संपत्ति मालिकों को भी 5% अतिरिक्त छूट मिल सकती है। जैसे कि अगर किसी के पास सिर्फ़ एक ही मकान है।
Property Tax देना क्यों ज़रूरी है?
Property Tax देना हर मकान मालिक की ज़िम्मेदारी होती है। उदाहरण के लिए, अगर राजेश के नाम पर गाज़ियाबाद में एक 2 BHK फ्लैट है, तो उस फ्लैट के लिए हर साल गाज़ियाबाद नगर निगम को संपत्ति कर देना राजेश की ज़िम्मेदारी है।
यह कर स्थानीय विकास के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे प्राप्त धन से स्थानीय इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं के लिए निवेश किया जाता है। जैसे सड़कें, पार्क, स्कूल इत्यादि।
संपत्ति कर न देने पर जुर्माना लग सकता है। निर्धारित समय सीमा के बाद भुगतान न करने पर ब्याज वसूला जाता है। इसलिए समय पर कर भरना ज़रूरी है।
इस प्रकार संपत्ति का कर देना हर मालिक की ज़िम्मेदारी होती है और स्थानीय विकास में मदद करता है। इसे समय पर और नियमित रूप से भरना चाहिए।
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निष्कर्ष:
इस प्रकार हमने संपत्ति कर के बारे में जाना कि यह किस पर लगता है, इसकी गणना कैसे की जाती है और इसमें कौन सी छूट मिलती है। संपत्ति का कर समय पर और सही ढंग से भरना महत्वपूर्ण है।
आशा है यह लेख आपको संपत्ति कर से संबंधित जानकारी देने में सहायक रहा होगा।
Property Tax किसी भी अचल संपत्ति पर लगाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण कर है। इसे समय पर और सही ढंग से देना हर नागरिक का कर्तव्य है। आशा करता हूं यह लेख आपको संपत्ति कर के बारे में जानकारी देने में सक्षम रहा होगा।