हर कोई शेयर बाजार में निवेश करके पैसे कमाना चाहता है और ऐसे में कंपनियां भी अपने शेयरधारकों को लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ती है ताकि इन्वेस्टर उनके साथ अंत तक बने रहें | उसमें से एक चीज होती है Dividend जो कंपनियां अपने वफादार इन्वेस्टर को हर साल देती है |
कुछ शेयर धारक तो ऐसे होते हैं जो शेयर खरीदते ही इसलिए है ताकि उन्हें डिविडेंड का लाभ मिल सके और काफी हद तक यह बात सही भी है | Bonus किसको अच्छा नहीं लगता, हर कोई चाहता है कि उसे हर महीने कुछ एक्स्ट्रा पैसे मिले |
ऐसे में किसी भी नए इन्वेस्टर को Dividend जैसी चीज काफी लुभाती है पर किसी भी बॉन्ड, सिक्योरिटी या इक्विटी में निवेश करने से पहले स्टॉक मार्केट का गणित पता होना बहुत जरूरी है नहीं तो लेने के देने भी पड़ सकते हैं |
Dividend Kya Hota Hai?
साधारण भाषा में डिविडेंड किसी भी कंपनी के प्रॉफिट का वह हिस्सा होता है जिसे वह अपने शेयरधारकों के साथ शेयर करती है | किस व्यक्ति को कितना डिविडेंड मिलेगा यह उनके शेयर होल्डिंग के हिसाब से निर्धारित किया जाता है |
उदाहरण के लिए यदि विप्रो ₹5 डिविडेंड प्रति Share देती है तो अगर किसी ने विप्रो का एक शेयर लिया है तो उसे अतिरिक्त ₹5 दिए जाएंगे वहीं अगर किसी ने विप्रो के ही 100 शेयर खरीद रखें रखे हैं तो उसे प्रत्येक शेयर पर ₹5 डिविडेंड यानी कि कुल मिलाकर ₹500 डिविडेंड मिलेगा |
Dividend Meaning in Hindi
हिंदी में Dividend का meaning लाभांश होता है | जैसे सैलरी में कभी-कभी बोनस मिलता है वैसे ही जब कंपनी को मुनाफा होता है तो वह अपना प्रॉफिट उन लोगों में भी बांटती है जिसने उस कंपनी के शेयर खरीदने में भरोसा दिखाया |
वैसे तो कंपनी अपने मुनाफे के हिसाब से डिविडेंड देती हैं लेकिन अगर कोई कंपनी साल दर साल डिविडेंड बढ़ाते जा रही है इसका मतलब है कि वह कंपनी लगातार फायदे में है और कंपनी के मार्केट में लंबे समय तक बने रहने की संभावना है |
इस तरह की कंपनी के शेयर हमेशा उसकी बुक वैल्यू से ज्यादा पर ट्रेड होते हुए दिखाई देते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे उस कीमत के लायक नहीं है | एक भरोसेमंद कंपनी की भी यह पहचान होती है कि वह हर साल अपने इन्वेस्टर को एक अच्छी राशि डिविडेंड के रूप में देती है |
क्या कोई कंपनी अगर डिविडेंड नहीं दे रही तो क्या वह बेकार कंपनी है?
यह बात बिल्कुल भी सच नहीं है | कुछ कंपनियां डिविडेंड ना देकर भी लगातार तरक्की करती हैं और अगर आप उनके शेयर को लंबे समय तक अपने डिमैट अकाउंट में होल्ड करके रखते हैं तो आपको किसी डिविडेंड देने वाली कंपनी से बहुत ज्यादा फायदा हो सकता है |
अगर कंपनी को लगता है कि इस साल का मुनाफा डिविडेंड के रूप में बांटने की बजाय कोई नया प्रोजेक्ट शुरू किया जा सकता है जिससे कंपनी को आगे जाकर फायदा होगा तो वह कंपनी डिविडेंड देने के बजाय ऐसा कर सकती है |
वहीं दूसरी और Nifty कंपनियां ज्यादा Dividend इसलिए देती है क्योंकि उनका बिजनेस पहले से ही अच्छा चल रहा होता है और उन्हें समझ नहीं आता कि इस प्रॉफिट को कहां लगाया जाए तो वे सोचते हैं कि जिन लोगों ने हमारी कंपनी में पैसे लगाएं क्यों ना यह पैसे उन लोगों में ही डिविडेंड के रूप में बांट दिए जाएं |
अच्छी कंपनियों में हर कोई निवेश करना चाहता है क्योंकि उनके उत्पाद खरीदने में ग्राहकों का ज्यादा भरोसा होता है और जब ग्राहक सामान खरीदेंगे तो उससे कंपनी का मुनाफा होगा और कंपनी का मुनाफा होगा तो शेयर की कीमत बढ़ेगी और शेयर की कीमत पड़ेगी तो उससे आपको फायदा होगा |
कौन सी कंपनी ज्यादा डिविडेंड देती है?
वैसे तो Dividend कोई भी कंपनी दे सकती है लेकिन ऐसा देखा गया है कि छोटी कंपनियां या तो बहुत कम डिविडेंड देती है या देती ही नहीं है और जहां तक बड़ी कंपनियों का सवाल है वह स्मॉलकैप और मिडकैप कंपनियों के मुकाबले ज्यादा डिविडेंड देती है |
ऐसी कंपनियां ज्यादातर लार्जकैप के अंदर पाई जाती है और संभावना है कि आप जिस भी कंपनी को नाम से जानते हैं वह एक लार्ज कैप कंपनी होगी | Ex- Sanofi India, Reliance Industries, Shree Cement, SBI, etc.
वैसे तो हमेशा बड़ी कंपनियां ही ज्यादा डिविडेंड का भुगतान करती है लेकिन ऐसा भी देखा गया है कि कोई छोटी कंपनी बीच में आ गई और उसने एकदम से बहुत सारा डिविडेंड दे दिया | ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है पर इससे यह तो संभव है कि सस्ते शेयर वाली कंपनी भी इतना ज्यादा डिविडेंड दे सकती है |
ऐसी कंपनियां या तो आगे जाकर बहुत तरक्की करती हैं या फिर बुरी तरह फेल हो जाती हैं इसलिए सलाह दी जाती है कि सबसे सस्ते शेयर के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए और भरोसेमंद कंपनियों में ही इन्वेस्ट करना चाहिए फिर चाहे Dividend कम मिले |